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लेखनी कहानी -23-Jun-2022 गुनहगार कौन

गुनहगार कौन 


रवि लंच लेकर सो गया था । जब जागा तब तक चार बज चुके थे । हल्की हल्की बारिश हो रही थी । मौसम बड़ा सुहावना हो रहा था । आसमान पर बादल छाए हुए थे । तेज हवा के झोंकों के साथ साथ कुछ कुछ फुहारें घर के अंदर तक आ रही थीं । 

वह बाहर बालकनी में पड़ी कुर्सी पर बैठ गया । उसने रिचा को आवाज देकर बालकनी में बुला लिया था । रिचा का हाथ पकड़कर रवि ने कहा "ऐ , मौसम कितना सुहाना है ना , बिल्कुल तुम्हारी तरह" ! 
"चलो हटो भी , मेरी तारीफ का कोई मौका नहीं छोड़ते हो । क्यों करते हो इतनी तारीफ" ? 
"तुम हो ही ऐसी । जी करता है कि बस मैं तुम्हें देखता ही रहूं और तुम्हारी प्रशंसा में छंद गाता रहूं । मगर क्या करूं , कवि नहीं हूं न । काश मैं एक कवि होता तो मैं एक महाकाव्य लिखता । जिसका नाम होता 'अभिज्ञानम् रिचा मैडम' । क्यों कैसा लगा मेरे महाकाव्य का नाम" ? 
"आप भी ना जाने क्या क्या खयाली पुलाव पकाते रहते हो । ख्वाबों की दुनिया से निकल कर हकीकत की दुनिया में आ जाओ जनाब" । रिचा प्रेमरस में सराबोर होकर रवि से एकदम सटकर बैठ गई । 

रवि ने रिचा का चेहरा अपनी ओर घुमा लिया । बड़ी बड़ी आंखें , गुलाबी गाल , लाल सुर्ख होंठ , सुराहीदार गर्दन । वह एकटक रिचा को देखे जा रहा था । रिचा अब भी 25 साल की नवयुवती सी लगती थी जबकि उनकी शादी को करीब 10-12 साल हो गए थे और उनकी बेटी रुचिका 8 वर्ष की हो गई थी । 

रवि को इस तरह एकटक अपनी ओर देखते हुए पाकर रिचा अचकचा गई । रवि की आंखों पर अपने कोमल हाथ रखकर बोली "ऐसे मत देखिए न, प्लीज" 
"क्यों , कुछ हो रहा है क्या" ? 
"हां , कुछ कुछ होने लगा है । क्या इरादा है आपका" ? 
"इरादे तो बहुत ऊंचे हैं जानेमन । पर मुझे पता है कि तुम इस वक्त मेरे इरादे पूरे होने नहीं दोगी । पर एक ख्वाहिश है जिसे तुम अभी पूरी कर सकती हो" 

रिचा रवि की बातों का अभिप्राय समझकर बोली "आपके इरादे नेक नहीं लग रहे हैं कविवर" 
"इरादे तो नेक ही हैं मैडम । पर आपकी सोच कुछ अलग है । खैर छोड़ो , अभी तो मेरी एक छोटी सी ख्वाहिश पूरी कर दो ना" 
"क्या ख्वाहिश है जनाब की, हमें भी तो पता चले" ? 
"ज्यादा कुछ नहीं , बस चाय की एक प्याली" 

रिचा तो पता नहीं क्या क्या सोच रही थी मगर जनाब तो केवल चाय की प्याली तक ही सीमित थे । वह अपनी सोच पर मन ही मन झुंझलाई और चाय बनाने के लिए उठने लगी । उसे उठते देखकर रवि ने उसका हाथ पकड़ लिया "अब कहां चल दीं, मैम" ? 
"आपने ही तो चाय की फरमाइश की थी अभी । वही बनाने जा रही हूं । यहां बैठे बैठे थोड़े बन जाएगी चाय" ? 
"नहीं , किचिन में जाने की जरूरत नहीं है । मुझे वो वाली चाय नहीं चाहिए" 
"फिर कौन सी चाय चाहिए हुजूर को" ? 
"ये लाल लाल होठों वाली" रवि अपना मुंह रिचा के पास लाते हुए बोला 
"धत । ये भी कोई चाय है ? आप तो कुछ ज्यादा ही बहक रहे हैं आज " । रिचा खड़े होते हुए बोली 
"अरे मैडम जी कहां चलीं ? थोड़ी देर और बैठो न । अभी दिल नहीं भरा है" 
"अभी रुचिका जागने ही वाली है । अगर उसने आपकी ये 'हरकतें' देख लीं तो क्या असर होगा उसके बाल मन पर । ना बाबा ना । अब मैं यहां और नहीं बैठ सकती हूं । अभी चाय बनाकर लाती हूं" । 
"अच्छा , तो ऐसा करना । कुछ पकौड़े भी तल कर ले आना" 
"जी , अभी लाई" । 

रवि बालकनी से बाहर की ओर देखने लगा । वाकई मौसम बहुत खुशनुमा था । ठंडी ठंडी हवा बदन में आग लगा रही थी । इश्क की लौ जला रही थी । वह अभी और खयालों में डूबता कि रिचा की आवाज सुनाई दी 
"सुनो, बेसन खत्म हो गया है । केवल चाय ही बना लाऊं या कुछ और" ? 
"यार, आज तो आलू के पकौड़े खाने की इच्छा है और कुछ नहीं । मैं अभी बेसन ले आता हूं" रवि उठते हुए बोला । 
"रहने दो ना । फिर कभी ले आना । मैं कुछ और बना लाती हूं" 
"नहीं, पकौड़े ही खाने हैं आज तो । वो भी आपके हाथों के बने" 
"बड़े जिद्दी हो । इतनी जिद तो रुचिका भी नहीं करती है जितनी आप करते हैं । पर जाना जरा संभलकर । बरसात हुई है अभी अभी जोरों की । सड़क पर पानी भरा हुआ होगा" । 
"जी, मैडम जी । संभलकर ही जाऊंगा" रवि बच्चों की तरह आज्ञा पालन की मुद्रा बनाकर बोला । 

रवि ने सोचा कि एक किलोमीटर की दूरी पर ही तो किराने की दुकान है । इसके लिए क्या गाड़ी निकालना ? उसने एक्टिवा की चाबी ली और चलने लगा  । 
"हैलमेट तो लगाते जाइए न" रिचा ने टोकते हुए कहा 
"पास ही तो जा रहा हूं । कोई दस बीस किलोमीटर दूर थोड़ी जा रहा हूं" । और वह चल दिया । 

वाकई सड़क पर पानी भरा हुआ था । पता नहीं नगर निगम कैसी सड़कें बनवाता है कि पानी के उचित निकास की व्यवस्था नहीं की जाती है । यदि सड़क के किनारे किनारे नालियों की व्यवस्था हो तो सड़क पर पानी ना भरे । यह भी हो सकता है कि नाली तो बनी हो मगर उनमें कीचड़ भरा हो और वे कीचड की वजह से फुल भरी हों । फिर पानी कैसे निकले ?  नालियों की सफाई समय पर कौन करवाए ? प्रशासन तो हादसों का इंतजार करता रहता है । जब कोई बड़ा हादसा होगा तब सरकार की नींद खुलेगी । 

रवि यह सोचता ही जा रहा था । सड़क पर कम से कम एक फुट पानी था । सड़क दिखाई नहीं दे रही थी । वह अंदाज से ही चला जा रहा था । अचानक एक गड्ढा आया । एक्टिवा का अगला पहिया गड्ढे में पड़ा तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और रवि एक्टिवा सहित सड़क पर गिर पड़ा । उसके पीछे पीछे एक बहुत पुराना सा खटारा सा ट्रक आ रहा था । उसके ड्राइवर ने ब्रेक लगाए मगर ट्रक खटारा था इसलिए ब्रेक धीरे धीरे लगे   इतने में वह ट्रक रवि को कुचलता हुआ आगे निकल गया । जब ड्राइवर ने देखा कि हादसा हो गया है तो वह ट्रक भागकर ले गया ? 

रवि सड़क पर पानी में पड़ा तड़प रहा था । लोग कारों से , मोटरसाइकिल से आ जा रहे थे मगर किसी ने रुककर उसकी कोई मदद नहीं की । फिर किसी ने 108 नंबर को फोन किया तब करीब 20-25 मिनट में ऐंबुलेंस आई और रवि को सरकारी अस्पताल ले गई  । 

अस्पताल में डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं था । वह कहीं चाय पीने चला गया था । जब तक वह आता रवि की मौत हो चुकी थी । एक हंसता खेलता परिवार बिखर गया था । 

रिचा उस पल को कोसने लगी जिस पल रवि ने पकौड़े की फरमाइश की थी । काश, घर में बेसन होता तो रवि को सड़क पर जाना नहीं पड़ता । 

इस दर्दनाक मौत के गुनहगार कौन हैं ? 

क्या स्वयं रवि, जो बिना हेल्मेट एक्टिवा चला रहा था   
क्या नगर निगम और सरकार , जिसने ऐसी सड़कें बनवाई जिनसे पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं थी ?  सड़क पर पड़े गड्ढे भरे क्यों नहीं गये थे ? 
क्या ट्रक का मालिक, जो खटारा ट्रक को भी चला रहा था ? 
क्या ट्रक का ड्राइवर,  जिसे पता था कि ट्रक खटारा है फिर भी वह तेज गति से चला रहा था   
क्या RTO, जिसे खटारा ट्रकों को सड़क पर नहीं उतरने देना चाहिए था ? 
क्या ट्रैफिक पुलिस, जिसकी जिम्मेदारी होती है ऐसे खटारा वाहनों को रोकने की । ओवर स्पीड में गाड़ी पर चालान बनाने की । हेल्मेट चैक करने की 
क्या समाज,  जो इतना असंवेदनशील हो गया है जो एक दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मदद नहीं कर उसे अनदेखा करके निकल जाता है 
क्या डॉक्टर,  जिसे ड्यूटी पर होना चाहिए था 

रिचा ने एक रिट इस संबंध में उच्च न्यायालय में लगा दी है । उसे दस वर्ष हो गये हैं मगर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है । 

अंत में इतना ही कहूंगा कि 

किस किस का नाम लें किस किस को गुनहगार बताएं 
यहां तो कुए में भांग पड़ी है कृपया सब संभलकर जाएं 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
23.6.22 

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4 Comments

Gunjan Kamal

24-Jun-2022 01:50 PM

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Jun-2022 09:43 PM

धन्यवाद मैम

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Raziya bano

24-Jun-2022 05:19 AM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Jun-2022 09:43 PM

धन्यवाद जी

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